Friday 18 November 2016

सोनम गुप्ता बेवफा है!

सोनम गुप्ता बेवफा है!
सोनम गुप्ता और आनंद बचपन से ही साथ-साथ खेलते-कुदते हुए बड़े हुए। साथ ही स्कूल गए और
फिर कॉलेज भी। दोनों पढ़ने में बहुत ही तेज और इतना ही नहीं सदा पढ़ाई-लिखाई में एक दूसरे की मदद भी किया करते थे। आलम यह कि जिले में यही दोनों ही हर परीक्षा टॉप करते थे। कभी आनंद टॉप करता तो कभी सोनम। इन दोनों की यह बचपन की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, किसी को क्या उन्हें भी पता नहीं चला। खैर एक ऐसा प्यार, जिसे सभी चाहते थे। इनके रिश्ते को गाँव-जवार सहित दोनों परिवार वालों का भी पूरा समर्थन हासिल था। दोनों का बड़ा ही पाक रिश्ता था।
ग्रेजुएशन के बाद दोनों ने फैसला लिया कि अब हमें पत्रकारिता की पढ़ाई करनी है। जाना-माना, सामाजिक, जमीन से जुड़ा पत्रकार बनना है। पत्रकार बनकर देश की तरक्की में हाथ बँटाना है। सही को सही और गलत को गलत बताना है और लोगों को, समाज को सही बात बतानी है, सही रास्ते पर चलाने की कमान संभालनी है। खैर दोनों ने एक साथ ही प्रवेश परीक्षा दी और दोनों का एडमिशन दिल्ली के आइआइएमसी में हो गया। यहाँ भी दोनों के प्यार के चर्चे हर तरफ छाए रहे। ये जिस्म तो दो पर जान एक ही थे। एक दूसरे के बिना दोनों को कल नहीं पड़ता वैसे भी दोनों समझदार के साथ ही बहुत ही सुंदर भी थे। वे किसी फिल्म स्टार से कम नहीं लगते। सोनम की छरहरी, लंबी शरीर उसकी गोरवर्णीय खूबसूरती में चाँद लगाती। उसके शांत व्यक्तित्व पर उसके चेहरे की हल्की मुस्कान एक अप्रतिम सुंदरता बिखेर देती और हर किसी को उसका दिवाना बना देती। उसकी खनकती, गंभीर आवाज में कुछ तो ऐसा जादू था, जो लोगों को मंत्रमुग्ध करके उसके करीब ला देता था। आनंद भी खूबसूरत शरीर का धनी था। घुँघराले, लंबे काले घने बाल थे उसके, पर थोड़ा शर्मीला था वो। जहाँ हिरणी की चाल वाली, अपने नयन-नक्श से सबको अपना बनानेवाली सोनम चंचल थी, शोख थी, बिंदास थी, वहीं आनंद शर्मीला। इन दोनों की प्रेम कहानी लोगों के जुबां पर प्रशंसनीय बनने लगे। लोग उनकी आपसी समझ की प्रशंसा करते अघाते नहीं थे। दोनों विद्लाय की सभी गतिविधियों में बढ़कर हिस्सा लेते और अपनी सार्थक उपस्थिति से एक अमिट छाप छोड़ जाते। अच्छा-अच्छा, एक बात और जो यहाँ बताना आवश्यक जान पड़ता है। सोनम में गजब की इनर्जी भी थी। वह योग-व्यायाम के द्वारा सदा अपने को फिट रखती और बिना आलस्य के कभी भी कोई काम करने बैठ जाती। अरे यहाँ तक की आधी रात को उसे आइसक्रीम खाने की इच्छा होती तो फौरन निकल जाती।
प्रभु की इच्छा भी तभी चरितार्थ होती है, जब सान भी तदे दिल से, मेहनत से अपने काम करे। इन दोनों की मेहनत रंग ले आई और ये दोनों टॉप कर गए। फिर क्या था, इनकी काबिलियत तो सोने की तरह खरी थी, जल्द ही इन्हें देश के दो टॉप के टीवी चैनलों में जॉब मिल गई। यह ऐसा मोड़ था, जो इन दोनों के जीवन में एक अविस्मरणीय, अनोखा बदलाव लेकर आया। एक बात और थी, सदा साथ रहने वाले दो युवा, जिसके दिल एक दूसरे में धड़कते थे, अब व्यवसायिक दुनिया में अलग-अलग होकर कदम बढ़ा रहे थे। मेहनत रंग लाती है और इनके साथ भी वही हुआ। अपनी मेहनत के बल पर ये तरक्की की सीढ़ियों पर चढ़ते चले गए।
अब आनंद और सोनम के घरवालों ने दोनों पर शादी करने के लिए दबाव बनाना शुरु कर दिया था। घर वाले चाहते थे कि अब दोनों पूरी तरह से सेट हो ही गए हैं तो इनकी घर-गृहस्थी बस ही जानी चाहिए। खैर आनंद तो तैयार था शादी के बंधन में बँधने के लिए पर सोनम नहीं। इसका कारण यह था कि सोनम महत्वाकांक्षा के पंख पर उड़ान भर रही थी और साथ ही बड़े-बड़े ख्वाब सजा के रखी थी, जिसे पूरा करने के लिए बहुत सारे पैसे जो कमाने थे। उसका एक स्वर्गिक महल हो, जिसमें सैकड़ों कारिंदे हों, उसकी खुद की कंपनी हो और भी पता नहीं क्या-क्या। एक बात और उसके दिमाग में यह बात भी चल रही थी कि वैसे भी हम दोनों साथ-साथ हैं तो शादी के बिना भी तो कुछ और साल गुजारे जा सकते हैं। और फिर जब खूब पैसा आ जाएगा तो लाइफ भी एकदम आनंदपूर्ण हो जाएगी, फिर विवाह-बंधन का एक अलग आनंद होगा, परमानंद होगा।
पर पैसा कमाने की ललक में वे दोनों इतने व्यस्त हो गए थे कि पास रहकर भी दूर हो चले थे।
कभी-कभी तो ऐसा होता कि घर में हप्तों तक उनकी मुलाकात नहीं होती। कभी सोनम की मार्निंग शिफ्त होती तो आनंद की नाइट की। कभी आनंद घर आता तो सोनम सोई हुई मिलती और जब सोनम आफिस जाने के लिए तैयार हो रही होती तो आनंद गहरी नींद में खर्राटे ले रहा होता। अब तो ऐसे दिन आ गए थे कि दोनों की हाय-हेलो के लिए मोबाइल ही सहारा था। बीच-बीच में वे लोग फोन पर कुछ बातें कर लेते। पर कहीं न कहीं उनके बीच दूरियाँ पसर चुकी थीं और पसरती ही जा रही थीं, पर वे दोनों इससे बेखबर अपनी-अपनी आभासी दुनिया में नाम-दाम की चाहत में लगे हुए थे।
अब तो दोनों सिनियर जर्नलिस्ट के सूची में आ गए थे। उन्हें बड़े-बड़े लोगों के साक्षात्कार के लिए अब तो काफी समय घर से भी, अपने आफिस-शहर से भी बाहर रहना पड़ता था। अब तो उनके खूबसूरत काले बालों पर सफेदी की आभा भी पसरने लगी थी। एक बार की बात है, साक्षात्कार के सिलसिले में सोनम की मुलाकात एक राज्य के पूर्वमंत्री और पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रह चुके दिनेश सिंह उर्फ नेताजी से हुई। नेताजी के आलीशान महल और शानौशौकत से सोनम प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी। वैसे भी सोनम गुप्ता को नेताजी कम उनकी संपत्ति जेयादे ही भा रही थी। उसे पता चल गया था कि नेताजी, अकूत संपत्ति के स्वामी हैं। लोगों का तो यह भी कहना था कि नेताजी के पास अकूत ब्लैक मनी भी है। खैर सोनम को अब विश्वास हो गया था कि नेताजी के पास इतनी संपत्ति है कि अगर दोनों हाथ से भी लुटाया जाए तो भी खत्म होने वाली नहीं है।
सोनम बात करने में चतुर तो थी साथ ही समय, परिस्थिति को देखकर अपनी मधुर भाषा का प्रयोग करती थी। उसकी वाणी में ओज होने के साथ ही इतनी मधुरता थी कि पाषाण हृदय भी द्रवित हो जाएँ और उसके आगे नतमस्तक भी। सोनम के व्यवहार से लोग बहुत जल्द ही उसे अपना समझते लगते थे और कुछ युवा तो उससे शादी के सपने भी सजाने लगते। खैर हर तरह से सोनम थी की ऐसी खूबसूरत, आकर्षक व्यक्तित्व की धनी कि कोई भी न चाहकर भी उसका हो ही जाए, उससे मिलन के सपने संजोने ही लगे। खैर नेताजी जैसे महा अमीर, रोबदार विधुर इससे अछूते कैसे रह जाते। न पर सोनम की समग्र खूबसूरती का नशा चढ़ ही गया और और वे इस नशे में मदमस्त होते चले गए। सोनम भी नेताजी में काफी हद तक घुलमिल गई। अपनी धर्मपत्नी के देहांत के बाद पहली बार नेताजी किसी के इतने करीब आए थे, जी हाँ, बहुत करीब, दिल के करीब। भीड़ में भी अपने आप को अकेले पाने वाले नेताजी की तो अब दुनिया ही बदली-बदली नजर आ रही थी, अब तो उनमें फिर से जीनम के प्रति, प्रेम के प्रति लालसा जग चुकी थी। अब सोनम भी समय मिलते ही नेताजी के घर पर पहुँच जाती। नेताजी भी प्रसन्न मन से सोनम को गले लगाते, उसकी खूब आवभगत करते। अब तो सोनम नेताजी की अभिन्न हो गई थी। दोनों एकदम खुल कर बात करते, हँसते, गाते।
पर सोनम का दिल तो नेताजी के दौलत पर जो आ गया था। जब भी उनसे मिलनी जाती, उनके दौलत पर अपनी नजर गड़ाए रहती। कुछ ऐसा करती, जिससे नेताजी को भी लगने लगा था कि सोनम को उनकी रइसी कुछ जेयादे ही पसंद आने लगी है।
उधर आनंद इस सब से बेखबर अपने कामों में लगा रहा। घर से शादी करने का दबाव बढ़ता देख अब तो सोनम पर शादी के लिए दबाव बनाने लगा। सच भी है, दबाव क्यों न बनाए, जो बेइंतहा मुहब्बत करता था वो सोनम से। और इतना ही नहीं सोनम तो उसका पहला प्यार था। ऐसा प्यार जो उसकी उम्र के साथ ही पल्लवित-पुष्पित हुआ था। कहा जाता है कि आदमी खिलौना है। कठपुतली है। पता नहीं कब उसके साथ क्या हो जाए, शायद भगवान ही जान पाएँ। जिसने भी कहा कि ‘लव इज ब्लाइंड’ सही कहा। उस दिन अपनी शिफ्त खतम करके ज्योंही आनंद घर पहुँचा। दरवाजे पर ही उसे सोनम का खत मिल गया। पत्र खोलते ही आनंद का जीवन आनंदरहित हो गया। ऐसा लगा कि उस पर आसमान टूट पड़ा हो। लकवा मार गया उसको। खत में सिर्फ कुछ ही लाइनें लिखी थीं पर ऐसी लाइनें जो किसी भी अनन्य प्रेमी, सत्य प्रेमी के हृदय पर वज्रपात कर दे। खत में सोनम ने लिखा था कि सॉरी जान..... मैं किसी से प्रेम करती हूँ और उसके साथ शादी करने जा रही हूँ.... तुम भी शादी कर लेना..... मेरे सपनों का, महलोंवाला राजकुमार मिल गया है मुझे।
सोनम को नेताजी की संपत्ति इतनी प्रिय लगी कि वह अपने बचपन के प्यार को, अपने पहले प्यार को ठुकरा दी। ऐसा प्यार को जिसे सात जन्मों तक निभाने का वादा किया था उसने। ऐसे प्यार को शायद जिसके लिए ही वह इस जमीं पर आई थी....पर..... कभी-कभी प्यार पर पैसा हावी हो ही जाता है। वैसे भी दुनिया, जीवन प्यार से नहीं पैसे से चलता है....ऐसी सोंच जो पनप गई है। सोनम की शादी नेताजी से फटाफट हो गई। फिर क्या था, सोनम नेताजी के साथ हनीमून के नाम पर लगभग 6 महीनों तक विदेशों में खूमती रही, अपने हर स्पन्न को पूरा करती रही। 9 नवंपर को वे लोग ज्योंही दिल्ली आए, नोटबंदी की खबर मिलते ही बेचारे दोनों हक्के-बक्के हो गए। उनकी नोट अब रद्दी कागज बन चुके थे।
इधर आनंद की मेहनत रंग लाई थी। ऊसके सार्थक कदम उसे अपनों से जोड़े रहे, उसके काम से जोड़े रहे और धीरे-धीरे सोनम के प्यार से उबर कर वह मजबूत होता चला गया था। अब तो वह देश के एक सबसे बड़े चैनल का हेड भी बन गया था। पूरे देश में उसकी तूँती बोलने लगी थी। अब तो पैसे की भी कोई कमी नहीं थी उसके पास, साथ ही बड़े-बड़े लोगों के साथ उठना-बैठना। सोनम नेताजी के घर से सीधे आनंद के पास पहुँची। आनंद अपने घर पर ही थी। सोनम को देखकर होले से मुस्कुराया। सोनम दौड़कर आनंद से लिपट गई। पर आनंद सोनम को दूर करते हुए घर के अंदर गया और नोटों का एक बैग लाकर, नोटों को निकालकर उसके ऊपर फूलों की तरह बरसाने लगा। हवा में उड़ते वे नोट ज्योंही जमीन पर आए...अरे यह क्या.....हर नोट पर यही लिखा हुआ था कि.........सोनम गुप्ता बेवफा है।

...वाकई में सोनम गुप्ता बेवफा है!

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