Monday 2 March 2015

बिहार के मांझी बनेंगें नीतीश ?



जीतन राम मांझी के इस्तीफे के साथ ही तथा नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनते ही कई महीनों से जारी मांझी और नीतीश के बीच सियासी लड़ाई थमती दिख रही है। अब नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री की बागडोर संभाल चुके हैं। यह गौरतलब है कि उन्होंने अब तक किसी भी तरह अपनी पार्टी को एकजुट रख पाने में सफल भी हो पाए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार अब बहुत हद तक मजबूत नज़र आ रहे है। उपचुनाव में जीत और दिल्ली में भाजपा की करारी हार ने उनको और पार्टी को टॉनिक पिला दिया है, उनमें जोश भर दिया है लेकिन अब उनके सामने नई चुनौतियां होंगी। अब उन्हें अपने महादलित वोट बैंक को समझाना होगा कि मांझी को हटाना क्यों जरूरी था? यह भी बताना होगा कि किस कारण से उन्हें लालू प्रसाद यादव से समझौता करना पड़ा है। लालू एवं राजद का साथ उनके लिए थोड़ा नुकसान जरूर पहुंच जा सकता है, लेकिन राजनीति में समयानुसार  विरोधियों से भी हाथ मिलाना पड़ता है, यह जगजाहिर है। इस बात को भी साकारात्मक रूप से नीतीश कुमार जनता के बीच ले जाना चाहेंगे, क्योंकि सत्ता तक पहुँचने के लिए नीतीश कुमार लगभग दो दशक तक लालू एवं उनके कार्यकाल को जंगलराज बताकर बिहार की सत्ता पर काबिज हुए थे और गाहे-बेगाहे लालू एंड पार्टी को निशाना बनाया करते थे। खैर नीतीश को पता है कि जनता सब भूल जाती है और वर्तामान में जीती है, शायद इस बात को ध्यान में रखकर वे थोड़े निश्चिंत होंगे और जनता की नाराजगी दूर करने का प्रयास करेंगे।

भाजपा और जदयू गठबंधन टूटने के बाद और भाजपा के सरकार से बहार होने के बाद बिहार में कानून व्यवस्था की हालत जर्जर हो गई है और विकास की गाड़ी पटरी से पूरी तरह उतर चुकी है। उन्हें हरहालत में विकास को फिर से पटरी पर लाना होगा, जिसे वे अपना यूएसपी बताते हैं। उनके सामने यह भी दुविधा होगी कि मांझी द्वारा आनन-फानन में लिए गए फैसलों का क्या करें? दलितों के पक्ष में लिए गए उन निर्णयों को पलटने से उन्हें सियासी नुकसान हो सकता है। सवाल है कि पिछले पंद्रह दिनों तक चले सत्ता के खेल में नीतीश जीते तो हारा कौन? मांझी, या बीजेपी, या दोनों? इसका उत्तर आसान नहीं है। सचाई यह है कि इन दोनों को पता था कि नंबर गेम में वे नीतीश को नहीं हरा पाएंगे। फिर भी उन्होंने यह दांव चला तो उसकी कुछ और वजहें भी हैं। मांझी ने इस प्रकरण में अपना कद बढ़ाने की कोशिश की है। कल तक उन्हें कोई नहीं जानता था पर आज वे महादलितों के नेता के रूप में अपने को प्रोजेक्ट कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में वह एक अलग ताकत के रूप में दावेदारी कर सकते हैं क्योंकि अब तो उन्होंने अपनी नई पार्टी की घोषणा भी कर दी है।

बीजेपी की रणनीति महादलित वोट बैंक में तोड़फोड़ करने की थी। बिहार विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है। यानी अक्टूबर के अंत या नवंबर के शुरुआत में बिहार में चुनाव होंगे, जिसमें पहली बार बीजेपी पूरे प्रदेश में अपने बूते चुनाव लड़ेगी। उसने रामविलास पासवान के जरिए दलितों को अपने साथ रखने की कोशिश की है। अगर महादलित भी उसकी तरफ आ जाते हैं तो नीतीश-लालू को कड़ी टक्कर मिलेगी। हालांकि, नीतीश के कमजोर होने में बीजेपी ही अपना फायदा देख रही हो, ऐसा नहीं है। लालू यादव को भी अहसास होगा कि मजबूत होकर नीतीश कहीं चुनाव जीतने के बाद उनकी पार्टी को हाशिये पर न डाल दें। इसलिए किसी न किसी रूप में आरजेडी भी इस तमाशे का हिस्सा थी। कुल मिलाकर बिहार की राजनीतिक बिसात पर हर कोई अपने-अपने मोहरे चल रहा है। चिंता जीत-हार की नहीं, इस बात की है कि बिहार का इससे क्या बनता-बिगड़ता है।

बिहार चुनाव में अब मात्र ९ महीने रह गए हैं, एक तरफ भाजपा और दूसरी तरफ सारी पार्टिया मिलकर बीजेपी को किसी भी तरह सत्ता में नहीं आने देना चाहती हैं। पिछला चुनाव जीतने के बाद नीतीश कुमार कहा था की २०१५ तक हर गॉव में २४ घंटा बिजली नहीं पंहुच पाई तो वोट मांगने नहीं जाऊंगा! अब उनके वादों का क्या होगा और बिहार की जनता को नीतीश कुमार क्या जवाब देते हैं, यह देखना होगा ! कुल मिलकर देखा जाए तो नीतीश कुमार घिरे तो नज़र आए हैं, पर हारे नहीं!

चुनावी पैंतरों से अलग तनि आपन, भोजपुरी, भोजपुरिया के बात भी क लेहल जाव। पहिले भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के नमन। धनि बा ऊ भारत नगरी जहाँ बाबू राजेंदरजी जइसन महापुरुषन के प्रादुर्भाव भइल अउर जेकर कीर्ति आजुओ पूरा संसार के रोशन क रहल बा। अइसन महापुरुषन के काम हम भारतीयन के गौरवान्वित करेला अउर हमनीजान शान से, सीना तानि के कहेनी जा कि हमनीजान भारतीय हईं जा, भोजपुरिया हईं जां।

अउर एतने ना होरी भी, फगुआ भी चढ़ि गइल बा। एकर खुमार हम भोजपुरियन पर पूरा तरे लउकता। त होरी मनाईं पर केहू के दिल दुखा के ना, सबके खुश क के। होरी के हारदिक सुभकामना।

जय भोजपुरी, जय भोजपुरिया माटी....जोगीरा....... सर..ररररर...ररररररर।

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