Friday 18 November 2016

सोनम गुप्ता बेवफा है!

सोनम गुप्ता बेवफा है!
सोनम गुप्ता और आनंद बचपन से ही साथ-साथ खेलते-कुदते हुए बड़े हुए। साथ ही स्कूल गए और
फिर कॉलेज भी। दोनों पढ़ने में बहुत ही तेज और इतना ही नहीं सदा पढ़ाई-लिखाई में एक दूसरे की मदद भी किया करते थे। आलम यह कि जिले में यही दोनों ही हर परीक्षा टॉप करते थे। कभी आनंद टॉप करता तो कभी सोनम। इन दोनों की यह बचपन की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, किसी को क्या उन्हें भी पता नहीं चला। खैर एक ऐसा प्यार, जिसे सभी चाहते थे। इनके रिश्ते को गाँव-जवार सहित दोनों परिवार वालों का भी पूरा समर्थन हासिल था। दोनों का बड़ा ही पाक रिश्ता था।
ग्रेजुएशन के बाद दोनों ने फैसला लिया कि अब हमें पत्रकारिता की पढ़ाई करनी है। जाना-माना, सामाजिक, जमीन से जुड़ा पत्रकार बनना है। पत्रकार बनकर देश की तरक्की में हाथ बँटाना है। सही को सही और गलत को गलत बताना है और लोगों को, समाज को सही बात बतानी है, सही रास्ते पर चलाने की कमान संभालनी है। खैर दोनों ने एक साथ ही प्रवेश परीक्षा दी और दोनों का एडमिशन दिल्ली के आइआइएमसी में हो गया। यहाँ भी दोनों के प्यार के चर्चे हर तरफ छाए रहे। ये जिस्म तो दो पर जान एक ही थे। एक दूसरे के बिना दोनों को कल नहीं पड़ता वैसे भी दोनों समझदार के साथ ही बहुत ही सुंदर भी थे। वे किसी फिल्म स्टार से कम नहीं लगते। सोनम की छरहरी, लंबी शरीर उसकी गोरवर्णीय खूबसूरती में चाँद लगाती। उसके शांत व्यक्तित्व पर उसके चेहरे की हल्की मुस्कान एक अप्रतिम सुंदरता बिखेर देती और हर किसी को उसका दिवाना बना देती। उसकी खनकती, गंभीर आवाज में कुछ तो ऐसा जादू था, जो लोगों को मंत्रमुग्ध करके उसके करीब ला देता था। आनंद भी खूबसूरत शरीर का धनी था। घुँघराले, लंबे काले घने बाल थे उसके, पर थोड़ा शर्मीला था वो। जहाँ हिरणी की चाल वाली, अपने नयन-नक्श से सबको अपना बनानेवाली सोनम चंचल थी, शोख थी, बिंदास थी, वहीं आनंद शर्मीला। इन दोनों की प्रेम कहानी लोगों के जुबां पर प्रशंसनीय बनने लगे। लोग उनकी आपसी समझ की प्रशंसा करते अघाते नहीं थे। दोनों विद्लाय की सभी गतिविधियों में बढ़कर हिस्सा लेते और अपनी सार्थक उपस्थिति से एक अमिट छाप छोड़ जाते। अच्छा-अच्छा, एक बात और जो यहाँ बताना आवश्यक जान पड़ता है। सोनम में गजब की इनर्जी भी थी। वह योग-व्यायाम के द्वारा सदा अपने को फिट रखती और बिना आलस्य के कभी भी कोई काम करने बैठ जाती। अरे यहाँ तक की आधी रात को उसे आइसक्रीम खाने की इच्छा होती तो फौरन निकल जाती।
प्रभु की इच्छा भी तभी चरितार्थ होती है, जब सान भी तदे दिल से, मेहनत से अपने काम करे। इन दोनों की मेहनत रंग ले आई और ये दोनों टॉप कर गए। फिर क्या था, इनकी काबिलियत तो सोने की तरह खरी थी, जल्द ही इन्हें देश के दो टॉप के टीवी चैनलों में जॉब मिल गई। यह ऐसा मोड़ था, जो इन दोनों के जीवन में एक अविस्मरणीय, अनोखा बदलाव लेकर आया। एक बात और थी, सदा साथ रहने वाले दो युवा, जिसके दिल एक दूसरे में धड़कते थे, अब व्यवसायिक दुनिया में अलग-अलग होकर कदम बढ़ा रहे थे। मेहनत रंग लाती है और इनके साथ भी वही हुआ। अपनी मेहनत के बल पर ये तरक्की की सीढ़ियों पर चढ़ते चले गए।
अब आनंद और सोनम के घरवालों ने दोनों पर शादी करने के लिए दबाव बनाना शुरु कर दिया था। घर वाले चाहते थे कि अब दोनों पूरी तरह से सेट हो ही गए हैं तो इनकी घर-गृहस्थी बस ही जानी चाहिए। खैर आनंद तो तैयार था शादी के बंधन में बँधने के लिए पर सोनम नहीं। इसका कारण यह था कि सोनम महत्वाकांक्षा के पंख पर उड़ान भर रही थी और साथ ही बड़े-बड़े ख्वाब सजा के रखी थी, जिसे पूरा करने के लिए बहुत सारे पैसे जो कमाने थे। उसका एक स्वर्गिक महल हो, जिसमें सैकड़ों कारिंदे हों, उसकी खुद की कंपनी हो और भी पता नहीं क्या-क्या। एक बात और उसके दिमाग में यह बात भी चल रही थी कि वैसे भी हम दोनों साथ-साथ हैं तो शादी के बिना भी तो कुछ और साल गुजारे जा सकते हैं। और फिर जब खूब पैसा आ जाएगा तो लाइफ भी एकदम आनंदपूर्ण हो जाएगी, फिर विवाह-बंधन का एक अलग आनंद होगा, परमानंद होगा।
पर पैसा कमाने की ललक में वे दोनों इतने व्यस्त हो गए थे कि पास रहकर भी दूर हो चले थे।
कभी-कभी तो ऐसा होता कि घर में हप्तों तक उनकी मुलाकात नहीं होती। कभी सोनम की मार्निंग शिफ्त होती तो आनंद की नाइट की। कभी आनंद घर आता तो सोनम सोई हुई मिलती और जब सोनम आफिस जाने के लिए तैयार हो रही होती तो आनंद गहरी नींद में खर्राटे ले रहा होता। अब तो ऐसे दिन आ गए थे कि दोनों की हाय-हेलो के लिए मोबाइल ही सहारा था। बीच-बीच में वे लोग फोन पर कुछ बातें कर लेते। पर कहीं न कहीं उनके बीच दूरियाँ पसर चुकी थीं और पसरती ही जा रही थीं, पर वे दोनों इससे बेखबर अपनी-अपनी आभासी दुनिया में नाम-दाम की चाहत में लगे हुए थे।
अब तो दोनों सिनियर जर्नलिस्ट के सूची में आ गए थे। उन्हें बड़े-बड़े लोगों के साक्षात्कार के लिए अब तो काफी समय घर से भी, अपने आफिस-शहर से भी बाहर रहना पड़ता था। अब तो उनके खूबसूरत काले बालों पर सफेदी की आभा भी पसरने लगी थी। एक बार की बात है, साक्षात्कार के सिलसिले में सोनम की मुलाकात एक राज्य के पूर्वमंत्री और पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रह चुके दिनेश सिंह उर्फ नेताजी से हुई। नेताजी के आलीशान महल और शानौशौकत से सोनम प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी। वैसे भी सोनम गुप्ता को नेताजी कम उनकी संपत्ति जेयादे ही भा रही थी। उसे पता चल गया था कि नेताजी, अकूत संपत्ति के स्वामी हैं। लोगों का तो यह भी कहना था कि नेताजी के पास अकूत ब्लैक मनी भी है। खैर सोनम को अब विश्वास हो गया था कि नेताजी के पास इतनी संपत्ति है कि अगर दोनों हाथ से भी लुटाया जाए तो भी खत्म होने वाली नहीं है।
सोनम बात करने में चतुर तो थी साथ ही समय, परिस्थिति को देखकर अपनी मधुर भाषा का प्रयोग करती थी। उसकी वाणी में ओज होने के साथ ही इतनी मधुरता थी कि पाषाण हृदय भी द्रवित हो जाएँ और उसके आगे नतमस्तक भी। सोनम के व्यवहार से लोग बहुत जल्द ही उसे अपना समझते लगते थे और कुछ युवा तो उससे शादी के सपने भी सजाने लगते। खैर हर तरह से सोनम थी की ऐसी खूबसूरत, आकर्षक व्यक्तित्व की धनी कि कोई भी न चाहकर भी उसका हो ही जाए, उससे मिलन के सपने संजोने ही लगे। खैर नेताजी जैसे महा अमीर, रोबदार विधुर इससे अछूते कैसे रह जाते। न पर सोनम की समग्र खूबसूरती का नशा चढ़ ही गया और और वे इस नशे में मदमस्त होते चले गए। सोनम भी नेताजी में काफी हद तक घुलमिल गई। अपनी धर्मपत्नी के देहांत के बाद पहली बार नेताजी किसी के इतने करीब आए थे, जी हाँ, बहुत करीब, दिल के करीब। भीड़ में भी अपने आप को अकेले पाने वाले नेताजी की तो अब दुनिया ही बदली-बदली नजर आ रही थी, अब तो उनमें फिर से जीनम के प्रति, प्रेम के प्रति लालसा जग चुकी थी। अब सोनम भी समय मिलते ही नेताजी के घर पर पहुँच जाती। नेताजी भी प्रसन्न मन से सोनम को गले लगाते, उसकी खूब आवभगत करते। अब तो सोनम नेताजी की अभिन्न हो गई थी। दोनों एकदम खुल कर बात करते, हँसते, गाते।
पर सोनम का दिल तो नेताजी के दौलत पर जो आ गया था। जब भी उनसे मिलनी जाती, उनके दौलत पर अपनी नजर गड़ाए रहती। कुछ ऐसा करती, जिससे नेताजी को भी लगने लगा था कि सोनम को उनकी रइसी कुछ जेयादे ही पसंद आने लगी है।
उधर आनंद इस सब से बेखबर अपने कामों में लगा रहा। घर से शादी करने का दबाव बढ़ता देख अब तो सोनम पर शादी के लिए दबाव बनाने लगा। सच भी है, दबाव क्यों न बनाए, जो बेइंतहा मुहब्बत करता था वो सोनम से। और इतना ही नहीं सोनम तो उसका पहला प्यार था। ऐसा प्यार जो उसकी उम्र के साथ ही पल्लवित-पुष्पित हुआ था। कहा जाता है कि आदमी खिलौना है। कठपुतली है। पता नहीं कब उसके साथ क्या हो जाए, शायद भगवान ही जान पाएँ। जिसने भी कहा कि ‘लव इज ब्लाइंड’ सही कहा। उस दिन अपनी शिफ्त खतम करके ज्योंही आनंद घर पहुँचा। दरवाजे पर ही उसे सोनम का खत मिल गया। पत्र खोलते ही आनंद का जीवन आनंदरहित हो गया। ऐसा लगा कि उस पर आसमान टूट पड़ा हो। लकवा मार गया उसको। खत में सिर्फ कुछ ही लाइनें लिखी थीं पर ऐसी लाइनें जो किसी भी अनन्य प्रेमी, सत्य प्रेमी के हृदय पर वज्रपात कर दे। खत में सोनम ने लिखा था कि सॉरी जान..... मैं किसी से प्रेम करती हूँ और उसके साथ शादी करने जा रही हूँ.... तुम भी शादी कर लेना..... मेरे सपनों का, महलोंवाला राजकुमार मिल गया है मुझे।
सोनम को नेताजी की संपत्ति इतनी प्रिय लगी कि वह अपने बचपन के प्यार को, अपने पहले प्यार को ठुकरा दी। ऐसा प्यार को जिसे सात जन्मों तक निभाने का वादा किया था उसने। ऐसे प्यार को शायद जिसके लिए ही वह इस जमीं पर आई थी....पर..... कभी-कभी प्यार पर पैसा हावी हो ही जाता है। वैसे भी दुनिया, जीवन प्यार से नहीं पैसे से चलता है....ऐसी सोंच जो पनप गई है। सोनम की शादी नेताजी से फटाफट हो गई। फिर क्या था, सोनम नेताजी के साथ हनीमून के नाम पर लगभग 6 महीनों तक विदेशों में खूमती रही, अपने हर स्पन्न को पूरा करती रही। 9 नवंपर को वे लोग ज्योंही दिल्ली आए, नोटबंदी की खबर मिलते ही बेचारे दोनों हक्के-बक्के हो गए। उनकी नोट अब रद्दी कागज बन चुके थे।
इधर आनंद की मेहनत रंग लाई थी। ऊसके सार्थक कदम उसे अपनों से जोड़े रहे, उसके काम से जोड़े रहे और धीरे-धीरे सोनम के प्यार से उबर कर वह मजबूत होता चला गया था। अब तो वह देश के एक सबसे बड़े चैनल का हेड भी बन गया था। पूरे देश में उसकी तूँती बोलने लगी थी। अब तो पैसे की भी कोई कमी नहीं थी उसके पास, साथ ही बड़े-बड़े लोगों के साथ उठना-बैठना। सोनम नेताजी के घर से सीधे आनंद के पास पहुँची। आनंद अपने घर पर ही थी। सोनम को देखकर होले से मुस्कुराया। सोनम दौड़कर आनंद से लिपट गई। पर आनंद सोनम को दूर करते हुए घर के अंदर गया और नोटों का एक बैग लाकर, नोटों को निकालकर उसके ऊपर फूलों की तरह बरसाने लगा। हवा में उड़ते वे नोट ज्योंही जमीन पर आए...अरे यह क्या.....हर नोट पर यही लिखा हुआ था कि.........सोनम गुप्ता बेवफा है।

...वाकई में सोनम गुप्ता बेवफा है!

Thursday 17 November 2016

भोजपुरी फिल्म : साल २०१६ की 9०% फिल्में सुपर फ्लॉप

भोजपुरी सिनेमा का वर्तमान दौर लगभग १३ साल का हो गया हैं. भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में
यह सबसे बड़ा और सफल दौर साबित हो रहा है जो बिना ब्रेक के लगातार चलता आ रहा है. इसके सफलता का सबसे बड़ा कारण, भोजपुरी सामाजिक संस्था और मीडिया हैं, जो इस दौर में भोजपुरी सिनेमा के प्रचार-प्रसार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. इसका फ़ायदा हमारे फ़िल्मी कलाकारों को भरपूर मिला है और मिल रहा है। इसी दौर में भोजपुरी जगत को रवि किशन एवं मनोज तिवारी जैसे दमदार अभिनेता और गायक मिले जो विश्व पटल पर भोजपुरी का परचम लहराने में अहम भूमिका निभाए हैं और साथ ही भोजपुरी फिल्म उद्योग के विकास में अग्णी भूमिका भी। इसी का नतीजा है कि आज भोजपुरी सिनेमा अपने स्वर्णीय युग में है.
वर्तमान दौर में एक से बढ़कर एक कलाकार भोजपुरी फिल्म-संगीत उद्योग में आये और भोजपुरी को एक अलग मुकाम तक ले गए. जिसकी बदौलत हर साल ५० से अधिक भोजपुरी फ़िल्में रिलीज होने लगीं, पर पिछले कुछ सालों से भोजपुरी सिनेमा क्वांटिती पर ज्यदा जोड़ देने लगी है और क्वालिटी पर कम. एक अभिनेता साल में ५ से ८ फ़िल्में करने लगेगा तो वह अपने किरदार के साथ न्याय कैसे कर पायेगा. यह सोचनीय विषय है, नहीं तो ९०% फिल्में फ्लॉप क्यों होती? ८०% फिल्में तो आपनी लागत तक नहीं निकाल पा रही हैं. इस साल मुश्किल से आधे दर्जन फिल्में ही आपनी लागत निकल पाई हैं. आखिर इतनी बड़ी संख्या में फिल्मों का फ्लॉप होना, भोजपुरी फिल्म उद्योग को किस तरफ ले जा रहा है? इस असफलता के कौन-कौन फैक्टर जिम्मेदार हैं? इस पर विचार करना और इसमें सुधारना अतिआश्वयक हैं.... जिसपर फिल्मकारों को गंभीरता से सोचना चाइये.
दिनेश लाल निरहुआ की इस कई फिल्में आईं पर ‘बम बम बोल रहा काशी’, ‘निरहुआ चलल ससुराल
२’ हिट बोल सकते हैं तो वही ‘मोकाम ०’ ठीक ठाक रहा, ‘मोकामा ० किलोमीटर’ से बहुत उम्मीदे थी पर यह फिल्म उमिद्दों पर खरी नहीं उतर पाई और वह भी बिग स्टारकास्ट और बजट के बावजूद. पवन सिंह ने ‘ग़दर’ के जरिये भोजपुरियों का दिल जीतने में कामयाब रहे, तो ‘त्रिदेव’ और ‘भोजपुरिया राजा’ में भी पवन ने अच्छा काम किया हैं और जिसको दर्शकों पसंद किया. वही तीसरे सबसे ज्यदा बिकाऊ अभिनेता  खेसारी लाल की फिल्मे भी नहीं कुछ खास नहीं कर पाई. उनकी केवल ‘खिलाडी’ ही बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और तो ‘दबंग आशिक’ औसत रहा. राजकुमार आर पाण्डेय निर्देशित और
प्रदीप पाण्डेय ‘चिंटू’ अभिनीत फिल्म ‘दुल्हन चाही पाकिस्तान से’ ने धमाल मचाया. एक बार फिर से राजकुमार आर पाण्डेय ने अपने निर्देशन का लोहा मनवाया। प्रदीप पाण्डेय की ‘दुल्हन चाही पाकिस्तान से’ को छोड़कर बाकी फिल्मों से निर्माता-निर्देशक के साथ ही दर्शकों को भी निराशा ही हाथ लगी। रवि किशन की ‘जोड़ी न.१’ और ‘ये मोहब्बतें’ ठीक ठाक रहीं पर कोई खास कमाल नहीं दिखा सकीं। पर रवि किशन हमेशा की तरह अपने किरदार के साथ न्याय करते दिखे. वहीं यश कुमार की ‘इच्छाधारी’ ने अच्छा बिजनेस किया.
अभिनेत्रियों में अमरपाली दुबे ने ‘मोकामा ०’में बहुत ही दमदार अभिनय की है, इतना ही नहीं, उनकेकमाल के एक्सप्रेशन के सभी दिवाने बन गए हैं.मधु शर्मा हमेशा की तरह ‘खिलाडी’ में अपने दमदार अभिनय से अपने सभी को-स्टारों पर भारी पड़ी हैं. छपरा के ‘सुबाश सिंह ‘पिंटू’ ने कहा की ‘मधु शर्मा भोजपुरी सिनेमा की आमिर खान हैं जो साल में एक से दो फ़िल्में ही करती हैं और अपने किरदार के साथ न्याय करते हुए पूरी तरह से उसमें ढल जाती हैं। यह बात मुझे बहुत अच्छी लगती है। अमरपाली दुबे का भी कोई जवाब नहीं, अगर वे अपनी फिटनेस पर थोड़ा ध्यान दें तो वे भोजपुरी सिनेमा के लिए लम्बी रेस की अभिनेत्री साबित होंगी.  वहीं काजल रघानी, तनुश्री और अक्षरा सिंह ने भी अपने अभिनय से दर्शकों को काफी हदतक प्रभावित किया है।

जहाँ तक निर्देशक और टेकनिशीयन की बात की जाये तो रमाकांत प्रसाद, असलम शेख, राजकुमार
आर पाण्डेय, अरविन्द चौबे, संतोष मिश्र और प्रेमांशु सिंह अपने निर्देशन से हिट रहे हैं. इनकी जो भी फिल्में हिट रहीं उसकी कहानी, संवाद और फिल्मांकन बहुत ही शानदार रहा है. पर ओवरआल देखें तो बाकी की फिल्मों से निराशा ही हाथ लगी है. फिल्म निर्माताओं को क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, नहीं तो भोजपुरी फिल्म उद्योग की हालत दिन पे दिन बद से बत्तर होती जाएगी.

Friday 11 November 2016

भोजपुरी फिल्म सर्वे २०१७ की शुरुआत




मैंने वर्ष २००८ में वेब पोर्टल पूर्वांचलएक्सप्रेस डॉट कॉम के लिए भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में पहली बार भोजपुरी फिल्म सर्वे की शुरुआत की। जो काफी सफल रहा और लोगों द्वारा भी खूब सराहा गया। नहीं तो इसके पहले किसी पता नहीं चलता कि वर्तमान में कौन हिट और कौन फ्लॉप? २००८ में बेस्ट एक्टर फिमेल पाखी हेगड़े और बेस्ट एक्टर मेल दिनेश लाल यादव निरहुआ और बेस्ट जोड़ी भी यही दोनों थे। दिनेश लाल ८ साल तक और २०१६ के लगभग सभी अवार्ड फंक्शन में बेस्ट एक्टर से नवाजे जाते रहे हैं तो वही दूसरी तरह पाखी की जगह मधु शर्मा बेस्ट एक्टर से नवाजी जा रही हैं। तो वहीं दूसरी तरफ दिनेश जी को पवन सिंह से तो मधु शर्मा को अमरपाली दुबे से बहुत कड़ी टक्कर मिल रही है। २०१६ भोजपुरी सिनेमा के सभी सुपर स्टारों के लिए मिला जुला रहा। कई तो बुरी तरह फ्लाप रहे तो कई नये अभिनेताओं ने अपने अभिनय से सबको प्रभावित किया।

२००८ की अपेक्षा २०१६ में सर्वे द्वारा सही रिजल्ट निकलना बहुत मुश्किल हो रहा है, इस लिए अभी से भोजपुरी पंचायत ने इसपर काम करना शुरू कर दिया है। सर्वे जनवरी या फ़रवरी २०१७ में प्रकाशित किया जायेगा, क्योंकि आज के समय में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में कोई स्टार नहीं है बल्कि सभी सुपर स्टार हैं। कोई यह सुनना पसंद नहीं करता की उसकी सुपर फ्लॉप फिल्म को कोई फ्लॉप फिल्म बोले या औसत दर्जे की बोले।सभी को केवल अपनी तारीफ सुनना पसंद है। उनको अपनी आलोचना कतई पसंद नहीं।

मीडिया का काम है समाज को सच्चाई दिखाना। क्योंकि मीडिया समाज का आइना होता है। इसी को ध्यान में रखकर, हमारी टीम लग गई अपने काम में। आप सम्मानित पाठकों से सादर अनुरोध है कि आप भी हमारे इस काम में सहयोग करें। और आपना जवाब इस ईमेल आईडी पर मेल करे : bhojpuripanchayat@gmail.com जय भोजपुरी।



१. साल २०१६ के फिल्मों को देखते हुए कौन सी फिल्म आपको सबसे अच्छी लगी?

a. बम बम बोल रहा काशी b. खिलाडी c. ग़दर d. ये मोहब्बतें e. दुल्हन चाहीं पाकिस्तान से f. आपके विचार से ........?

२. वर्ष २०१६ के फिल्मों के आधार पर कौन से अभिनेता को आप सबसे लोकप्रिय मानते हैं?

a. रवि किशन b. दिनेश लाल यादव निरहुआ c. पवन सिंह d. खेसारी लाल e. प्रदीप पाण्डेय f. आपके विचार से ........?


३. वर्ष २०१६ के फिल्मों के आधार पर कौन-सी अभिनेत्री को आप सबसे लोकप्रिय मानते हैं?

a. अमरपाली दुबे b. तनुश्री चटर्जी c. मधु शर्मा d. काजल रघानी e. अक्षरा सिंह f. आपके विचार से ........?

४. साल २०१६ में कौन से विलेन का काम आपको सबसे दमदार लगा?

a. सुशिल सिंह b. सुदेश कौल c. संजय पाण्डेय d. अवधेश मिश्र e. आपके विचार से ........?

५.  वर्ष २०१६ में आपको किसका कॉमेडी सबसे मजेदार लगा? 

a. मनोज टाइगर b. प्रकाश जैस c. सूर्य द्विवेदी d. संजय पाण्डेय e.  आपके विचार से ........?

६. कौन से गायक का गीत आपको सबसे बढ़िया लगा?

a. पवन सिंह b. दिनेश लाल c. मोहन राठोड d. आलोक कुमार e. उदित नारायण f. आपके विचार से ........?

७. कौन सी गायिका के गीत आपको सबसे कर्णप्रिय और मोहक लगे?

a. कल्पना b. इंदु सोनाली c. प्रियंका सिंह d. खुशबू जैन e. ममता रावत f. आपके विचार से ........?

८. लोकप्रिय गीतकार आप किसे मानते हैं?

a. श्याम देहाती b. प्यारे लाल यादव कविजी c. राज कुमार आर पाण्डेय  d. आजाद सिंह  e. आपके विचार से ........?

९. बेस्ट संगीतकार कौन?

a. मधुकर आनंद b. राजेश-रजनीश c. छोटे बाबा d. घुंगरू e. राज कुमार आर पाण्डेय f. आपके विचार से ........?

१०. साल २०१६ के लोकप्रिय कोरिओग्राफर?

a. पप्पू खन्ना b. कानू मुख़र्जी c. राम देवन  d. दिलीप मिश्री e. आपके विचार से ........?


११. साल २०१६ में कौन निर्देशक हिट रहा?

a. अरविन्द चौबे b. संतोष मिश्र c. असलम शेख d. राजकुमार आर पाण्डेय e. देव पाण्डेय f.  रमाकांत प्रसाद g.आपके विचार से ........?

१०. साल २०१६ का सबसे लोकप्रिय जोड़ी किसको मानते हैं?


a. पवन-अक्षरा b. दिनेश लाल-अमरपाली c. प्रदीप पाण्डेय-तनुश्री  d. खेसारी-काजल e. आपके विचार से ........?

आपना जवाब इस ईमेल आईडी पर मेल करे : bhojpuripanchayat@gmail.com जय भोजपुरी।