भोजपुरी सिनेमा का
वर्तमान दौर लगभग १३ साल का हो गया हैं. भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में
यह सबसे बड़ा
और सफल दौर साबित हो रहा है जो बिना ब्रेक के लगातार चलता आ रहा है. इसके सफलता का
सबसे बड़ा कारण, भोजपुरी सामाजिक संस्था और मीडिया हैं, जो इस दौर में भोजपुरी
सिनेमा के प्रचार-प्रसार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. इसका फ़ायदा
हमारे फ़िल्मी कलाकारों को भरपूर मिला है और मिल रहा है। इसी दौर में भोजपुरी जगत
को रवि किशन एवं मनोज तिवारी जैसे दमदार अभिनेता और गायक मिले जो विश्व पटल पर
भोजपुरी का परचम लहराने में अहम भूमिका निभाए हैं और साथ ही भोजपुरी फिल्म उद्योग
के विकास में अग्णी भूमिका भी। इसी का नतीजा है कि आज भोजपुरी सिनेमा अपने
स्वर्णीय युग में है.
वर्तमान दौर में एक
से बढ़कर एक कलाकार भोजपुरी फिल्म-संगीत उद्योग में आये और भोजपुरी को एक अलग मुकाम
तक ले गए. जिसकी बदौलत हर साल ५० से अधिक भोजपुरी फ़िल्में रिलीज होने लगीं, पर
पिछले कुछ सालों से भोजपुरी सिनेमा क्वांटिती पर ज्यदा जोड़ देने लगी है और
क्वालिटी पर कम. एक अभिनेता साल में ५ से ८ फ़िल्में करने लगेगा तो वह अपने किरदार
के साथ न्याय कैसे कर पायेगा. यह सोचनीय विषय है, नहीं तो ९०% फिल्में फ्लॉप क्यों
होती? ८०% फिल्में तो आपनी लागत तक नहीं निकाल पा रही हैं. इस साल मुश्किल से आधे
दर्जन फिल्में ही आपनी लागत निकल पाई हैं. आखिर इतनी बड़ी संख्या में फिल्मों का
फ्लॉप होना, भोजपुरी फिल्म उद्योग को किस तरफ ले जा रहा है? इस असफलता के कौन-कौन
फैक्टर जिम्मेदार हैं? इस पर विचार करना और इसमें सुधारना अतिआश्वयक हैं.... जिसपर
फिल्मकारों को गंभीरता से सोचना चाइये.
दिनेश लाल निरहुआ की
इस कई फिल्में आईं पर ‘बम बम बोल रहा काशी’, ‘निरहुआ चलल ससुराल
२’ हिट बोल सकते
हैं तो वही ‘मोकाम ०’ ठीक ठाक रहा, ‘मोकामा ० किलोमीटर’ से बहुत उम्मीदे थी पर यह
फिल्म उमिद्दों पर खरी नहीं उतर पाई और वह भी बिग स्टारकास्ट और बजट के बावजूद. पवन
सिंह ने ‘ग़दर’ के जरिये भोजपुरियों का दिल जीतने में कामयाब रहे, तो ‘त्रिदेव’ और ‘भोजपुरिया
राजा’ में भी पवन ने अच्छा काम किया हैं और जिसको दर्शकों पसंद किया. वही तीसरे
सबसे ज्यदा बिकाऊ अभिनेता खेसारी लाल की
फिल्मे भी नहीं कुछ खास नहीं कर पाई. उनकी केवल ‘खिलाडी’ ही बॉक्स ऑफिस पर हिट रही
और तो ‘दबंग आशिक’ औसत रहा. राजकुमार आर पाण्डेय निर्देशित और प्रदीप पाण्डेय ‘चिंटू’ अभिनीत फिल्म ‘दुल्हन चाही पाकिस्तान से’ ने धमाल मचाया. एक बार फिर से राजकुमार आर पाण्डेय ने अपने निर्देशन का लोहा मनवाया। प्रदीप पाण्डेय की ‘दुल्हन चाही पाकिस्तान से’ को छोड़कर बाकी फिल्मों से निर्माता-निर्देशक के साथ ही दर्शकों को भी निराशा ही हाथ लगी। रवि किशन की ‘जोड़ी न.१’ और ‘ये मोहब्बतें’ ठीक ठाक रहीं पर कोई खास कमाल नहीं दिखा सकीं। पर रवि किशन हमेशा की तरह अपने किरदार के साथ न्याय करते दिखे. वहीं यश कुमार की ‘इच्छाधारी’ ने अच्छा बिजनेस किया.
अभिनेत्रियों में
अमरपाली दुबे ने ‘मोकामा ०’में बहुत ही दमदार अभिनय की है, इतना ही नहीं, उनकेकमाल
के एक्सप्रेशन के सभी दिवाने बन गए हैं.मधु शर्मा हमेशा की तरह ‘खिलाडी’ में अपने
दमदार अभिनय से अपने सभी को-स्टारों पर भारी पड़ी हैं. छपरा के ‘सुबाश सिंह ‘पिंटू’
ने कहा की ‘मधु शर्मा भोजपुरी सिनेमा की आमिर खान हैं जो साल में एक से दो फ़िल्में
ही करती हैं और अपने किरदार के साथ न्याय करते हुए पूरी तरह से उसमें ढल जाती हैं।
यह बात मुझे बहुत अच्छी लगती है। अमरपाली दुबे का भी कोई जवाब नहीं, अगर वे अपनी
फिटनेस पर थोड़ा ध्यान दें तो वे भोजपुरी सिनेमा के लिए लम्बी रेस की अभिनेत्री
साबित होंगी. वहीं काजल रघानी, तनुश्री और
अक्षरा सिंह ने भी अपने अभिनय से दर्शकों को काफी हदतक प्रभावित किया है।
जहाँ तक निर्देशक और
टेकनिशीयन की बात की जाये तो रमाकांत प्रसाद, असलम शेख, राजकुमार
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