Monday 5 January 2015

संकीर्ण राजनीति की पराकाष्ठा

संकीर्ण राजनीति की पराकाष्ठा

दिल्ली प्रदेश राजनीति हो या राष्ट्रीय राजनीति, सभी जगहों से हासिये पर चुके विजय गोयल शायद अब अपनी ही पार्टी को नुकसान पहुँचाने के लिए कमर कस चुके हैं। लोकसभा चुनाव के पहले जो रोल दिग्विजय सिंह कांग्रेस में रहते हुए बीजेपी के लिए कर रहे थे, वही रोल अब विजय गोयल बीजेपी में रहते हुए कांग्रेस के लिए कर रहे हैं। नहीं तो इस समय जब दिल्ली में चुनाव होने वाला है, उनको क्या पड़ी थी, उत्तर भारतीय के खिलाफ बयान देने की? वे बखूबी जानते हैं कि दिल्ली में ४०% से भी ज्यादा वोटर पूर्वांचली हैं। उनके बिना किसी को बहुमत मिलना नामुमकिन है। यानि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए हर पार्टी को पूर्वांचली नैया का ही सहारा है। पिछले चुनाव में बीजेपी को जो २८ सीटें हासिल हुई थीं, वे पूर्वांचलियों के ही चलते। 
जहाँ तक मैंने विजय गोयल को रीड किया हूँ, मैंने देखा है कि वे अपनी भड़ास अपनी ही पार्टी पर निकालने के आदी हो चुके हैं। इस समय तो वे दिल्ली प्रदेश बीजेपी से पूरी तरह बहरिया दिए गए हैं। डॉ. हर्षवर्धन केंद्रीय मंत्री बन चुके हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश के सतीश उपाध्याय को दिल्ली प्रदेश बीजेपी की बागडोर सौंप दी गई है। सतीश उपाध्याय ने एक-एक करके गोयल के सभी करीबियों को पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है और दिल्ली प्रदेश की बीजेपी में नए लोगों के साथ नई तरह से जान फूँकने को आतुर दिख रहे हैं। गोयल का दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का सपना तो अब पूरी तरह से सपना ही बनकर रह जाने वाला है। शायद गोयल अपने इस सपने को टूटता देख इतने परेशान हो गए हैं कि अब तो कुछ और ही बकते नजर रहे हैं। वे देशद्रोही बयान देने से भी बाज नहीं रहे।
राजनीतिक दृष्टिकोण से मेरे जेहन में एक बात हमेशा उठती रहती है कि आखिर नेता जी लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए बिहारी या उत्तर भारतियों पर ही निशाना क्यों साधते हैं? कभी मुंबई में राज ठाकरे तो कभी दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दिक्षित तो कभी कोई और.... क्या इसका कारण यह है कि पूर्वांचली सभी क्षेत्रों में सब पर बीस पड़ते हैं और अपनी लगन मेहनत के बल पर वह सब कुछ पा लेते हैं जो गोयल जैसे बाकियों के लिए बस सपना ही बनकर रह जाता है। किसी भी क्षेत्र में परिश्रम की बात हो, पढ़ाई-लिखाई हो, ज्ञान-वैराग्य का संगम हो यो राजनीति की गंगा हो, हर जगह पूर्वांचली पूरे मन से, सकारात्मक सोच के साथ डुबकी लगाते हैं और सब पर भारी पड़ जाते हैं। हम गिरमिटिया मजबूरी के चलते मॉरिशस गए थे और आज वहाँ हम सरकार चला रहे हैं, ८० प्रतिशत पूर्वांचली ही मॉरिशस सरकार एवं ऑफिस में टॉप के पोस्ट की शोभा बड़ा रहे हैं। आने वाले समय में हम दिल्ली प्रदेश पर राज्य करेंगे और कोई बिहारी ही मुख्यमंत्री की गद्दी पर आसीन होगा, यह भी तय है। इसी के चलते शायद कुछ संकीर्ण मानसिकता वाले नेता समय-कुसमय भौंकने से बाज नहीं आते।
यही हालत मुंबई की भी है। मुंबई महानगरी में भी आज उत्तर भारतियों हर क्षेत्र में अपनी उपयोगिता साबित करते जा रहे हैं और अपनी उपलब्धि का परचम फहरा रहे हैं। यह पूरी तरह सत्य है कि अगर मुंबई में उत्तर भारतीय एकजुट होकर अपनी पार्टी बनाकर चुनाव में जाएँ तो बीएमसी पर इन्हीं का राज होगा। अगर एक बार उत्तर भारतीय बीएमसी पर काबिज हो गए तो उन्हें मुंबई में सबसे बड़ी शक्ति रूप में उभरने से कोई नहीं रोक सकता। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उत्तर भारतीय कठिन परिश्रम की प्रतिमूर्ति बनकर जनसंघर्ष, समाजसेवा एवं विकास की राजनीति करते हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण विश्व का स्वर्ग मॉरिशस है। जिसको उत्तर भारतियों एवं खासकर बिहारियों ने ही अपने हाथों से, अपने कून-पसीने से सजाया है। १८० साल पहले कोलकता से पानी की जहाज से गिरमिटिया मजदूर बनकर गए थे और आज उसी मॉरिशस को, इन्हीं बिहारियों ने विश्व का स्वर्ग बना दिया है।


मोदी सरकार को बहुमत मिला है, विकास की राजनीति और एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लिए। तो आज जरूरत है क्षेत्रवादी संकीर्ण राजनीति को त्यागकर विकास की राजनीति को अपनाने का। देश के नेताओं को अब समझ लेना चाहिए कि क्षेत्रवाद, जातिवाद, नफरतवाद की सीढ़ी पर चढ़कर सत्ता तक पहुँचने का समय गया। आज जनता अपने मत का प्रयोग वादों से ऊपर उठकर विवेक से करने लगी है। अब वही शासन करेगा जो घोटालों से परे होकर विकास की राजनीति करेगा, एकता भाईचारे की राजनीति करेगा और सबसे बड़ी बात देश को तोड़ने की नहीं जोड़ने की राजनीति करेगा। भारतीय संविधान में भारत के सभी नागरिकों को सामान अधिकार प्राप्त हैं और इन अधिकारों की रक्षा, उनके सुचारुपान की जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस के कंधों पर है। सरकार को चाहिए कि क़ानून के तहत देशद्रोही बयान देने वाले के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे। सबको इस बात का आभास हो कि देश और कानून से ऊपर कोई नहीं है। देश में अशांति फैलाने वालों को कानून बकसेगा अगर राज ठाकरे और विजय गोयल जैसे लोग प्रदेश की बागडोर संभाल लें को एक महीने में ही देश के कई टुकड़े कर देंगे। बीजेपी को चाहिए कि अबिलंब पार्टी से गोयल की पूरी तरह छुट्टी कर दे नहीं तो आने वाले चुनाव में जनता बीजेपी की छुट्टी कर देगी। और आप हाबी हो जाएगी क्योंकि आप में बहुत सारे पूर्वांचली अहम पदों पर विराजमान हैं। एक बात समझ में नहीं आती कि आखिर मोदीजी गोयल के बयानों पर चुप्पी क्यों साधे हैं? मोदीजी की यह चुप्पी पूर्वांचलियों में अविश्वास और रोष का भाव पैदा कर रहा है। मोदी जी को भी समझना होगा कि उनकी संसद यात्रा में अहम कड़ी पूर्वांचली यानि बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी ही है।

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