पं. हरिराम द्ववेदी - (39)
78 वर्ष, साहित्यकारा
श्रद्धावनत
78 वर्ष, साहित्यकारा
श्रद्धावनत
पंडित हरिराम द्ववेदी अपनी लोक संस्कृति के प्रति पूरी निष्ठा के समर्पित, लोक मान्यताओं के प्रति श्रद्धावनत, लोकजीवन के निकट रहकर न केवल कुछ कहने की कसमसाहट वरन् लोक जीवन जीने के सुखद अनुभव से परिपूर्ण। पारम्परिक लोक गीतों के प्रति विनत और उसी धरातल पर उसी बोली-भाषा में कुछ सकने की आकुलता से भरे अनवरत प्रयत्नशील रहते है।
पंडित हरिराम द्ववेदी का जन्म 12 मार्च 1936 को उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले के शेरवा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम स्व. पं. शुकदेव द्विवेदी एवं हरिराम द्ववेदी ने एम. ए., बीएड. तक पढ़ाई की है। लगभग तीन दशक तक आकाशवाणी की प्रसारण सेवा से सम्बद्ध रहकर मार्च 1994 में सेवानिवृत हुए।
पं. हरिराम द्ववेदी जी ने 10 भोजपुरी की किताबे लिखे हैं, उनमें दो भोजपुरी गीतों का संग्रह है, नदियों गइल दुबराय और अँगनइया को लोगों ने हाथों-हाथ लिया। इसके एक-एक गीत दिल को छू जाता है।
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