Sunday 8 February 2015

कुमार बिहारी पांडेय - दमदार भोजपुरिया

कुमार बिहारी पांडेय - (21)
78 वर्ष, उद्योगपति

सफल भोजपुरिया उद्यमी




कुमार बिहारी पांडेय देश के जाने माने उद्यमियों में गिने जाते हैं। सुनीता इंजीनियरिंग वर्क्स प्रा.लि. के संस्थापक श्री पांडेय की कंपनी मोल्ड, डाई, जीग के लिए बेस प्लेट और फिक्सर, डाई सेट तथा मोल्ड बेस का उत्पादन करती है। अपने कठिन परिश्रम व दूरदर्शिता से श्री पांडेय इस क्षेत्र के पायनियर माने जाते हैं। 

जन्म गुरू द्रोणाचार्य की कर्म स्थली दोन-दरौली, सीवान, बिहार में 7 मार्च 1936 को आयुर्वेदाचार्य श्री रामसेवक पांडेय व झुना देवी के पुत्र रूप में एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम रामेश्वर पांडेय रखा गया जो बाद में कुमार बिहारी पांडेय के नाम से विख्यात हुआ। सन् 1949 में मुंबई आने के बाद कुमार बिहारी पांडेय ने हर वह छोटा-बड़ा काम किया, ताकि उन्हें ईमानदारी पूर्वक जीने के लिए दो वक्त की रोटी व ठहरने का ठौर मिल सके। गांव-घर से दूर रहने का मलाल आज भी श्री पांडेय के दिल में हैं। इस बावत वे कहते हैं- घर से अलग होने के बाद मैंने सदैव संघर्ष और संकल्पों की छाँव में जिंदगी को जिया है और प्रकृति को अपना गुरू बना कर उससे भरपूर शिक्षा ली है। मैं कभी-कभार उन्हें गुनगुनाता भी हूं-

मुरादों को पाने में गाँव छुट गयाध् चहकते परिंदों का ठाँव छुट गया। बाड़ी-बगीचे की अल्हड़ बहारेंध् मदमाता महुआ और अम्बिया पुकारेंध्गंउवाँ के बरगद का छाँव छूट गया।

श्री कुमार बिहारी पांडेय का जीवन-दर्शन इन पंक्तियों में उभर कर सामने आया है-

मेरी मुफलिसी ने यारों जीना सिखा दिया
हर जख्म किल्लतों का सीना सिखा दिया।
दर्दों की दोस्ती में बेफिक्र जी रहा था
दर्दों ने हद से बढ़कर हँसना सिखा दिया।

हिन्दुस्तान से प्रेम करने वाले प्रत्येक 
भारतीय को समर्पित ये दो पंक्तियां उनकी जीवन श्रम की कथा खुद-ब-खुद कहती हैं-
भारत मेरा वतन है हमारा भाव भारती है
कर्म मेरी पूजा श्रमशक्ति आरती है।

आलोचनाः
कुमार बिहारी पांडेय की आलोचना करनी हो तो आप कह सकते हैं कि यह आदमी इस भौतिकवादी युग में खुद को 24 कैरेट का बनाए रखन में सफल रहा है। दूसरों की चिंता करने वाला कुमार बिहारी पांडेय अपनी चिंता नहीं करते। एक उद्योगपति होते हुए भी साहित्य रचते हैं जिसको साहित्यिक-संसार का अतिक्रमण कहा जा सकता है!

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