Sunday 8 February 2015

डॉ रमाशंकर श्रीवास्तव - दमदार भोजपुरिया

डॉ रमाशंकर श्रीवास्तव - (20)
75 वर्ष, साहित्यकार

सरल एवं सादगी का जीता जागता उदारहरण

भोजपुरी के साहित्यकार डॉ रमाशंकर श्रीवास्तव को छिउकीं के जन्मदाता माना जाता है, छिउकी को दो-चार लाइनों का व्यंगात्मक दोहा कह सकते है। जो कम शब्दों में समाजिक बुराइयों को व्यंग्यात्मक अंदाज में सारी कहानी कह देती है, सुनने में तो मंनोरंजक लगता है, पर चोट बहुत गहरा करता है।

डॉरमाशंकर श्रीवास्तव का जन्म 19 जून 1939 को पचरूखी, सीवान में हुआ था। दिल्ली यूनीवर्सीटी के राजधानी काॅलेज से हिन्दी विभाग के सेवानिवृत्ती के बाद उनका जीवन साहितय सिर्जन में ही लगा है। हिन्दी और भोजपुरी के लगभग 36 किताबें लिख चुके है। जिनमें दाल-भात तरकारी (उपन्यास), चउका बइठल महादेव (कहानी संग्रह), इया के खटोली (बाल उपन्यास) एवं 2015 में उनकी भोजपुरी कहानी संग्रह ’हंसी हंसी पनवा खियवले बेइमानवा’ आने वाली है।

संपादन-संचालनः- ‘अस्वाद’ (साहित्य-संस्कृति), विश्व भोजपुरी सम्मेलन की अन्तर्राष्ट्रीय 
कार्यकारिणी के सदस्य। त्रैमासिक ’श्रीप्रभा’ का सम्पादन, आकाशवाणी और दूरदर्शन से 
प्रसारण।

आलोचनाः
उनका सरल स्वभाव जो उनके के लिए कभी हानी पहुँचाता है, क्योंकि आज के समय आपके चलाक होना चाहिए। तभी आपको आपका उचित स्थान मिलता है नहीं तो बहुत सारे लोग गिद्ध की नजर रखे हुए है।

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