बिन्देश्वर पाठक - (११)
71 वर्ष, समाजसेवा
सामाजिक प्रतिबद्धता
बिन्देश्वर पाठक देश के जाने-माने समाजसेवी हैं। मैला धोने की प्रथा को खत्म करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शुलभ शौचालय का निर्माण भारत को स्वच्छ बनाने की दिशा में उठाया गया एक बेहतरीन कदम है। उनके सामाजिक प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि भारत सरकार ने उनको पदम भूषण से सम्मानित किया।
बिन्देश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बघेल गांव में एक ब्राह्मण परिवार में २ अप्रैल 1943 को हुआ था।
आलोचनाः
उनसे बिहार और भोजपुरी के विकाश के लिए काफी अपेक्षाए हैं।
71 वर्ष, समाजसेवा
सामाजिक प्रतिबद्धता
बिन्देश्वर पाठक देश के जाने-माने समाजसेवी हैं। मैला धोने की प्रथा को खत्म करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। शुलभ शौचालय का निर्माण भारत को स्वच्छ बनाने की दिशा में उठाया गया एक बेहतरीन कदम है। उनके सामाजिक प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि भारत सरकार ने उनको पदम भूषण से सम्मानित किया।
बिन्देश्वर पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बघेल गांव में एक ब्राह्मण परिवार में २ अप्रैल 1943 को हुआ था।
आलोचनाः
उनसे बिहार और भोजपुरी के विकाश के लिए काफी अपेक्षाए हैं।
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