Friday 6 February 2015

डाॅ. संजय सिन्हा - दमदार भोजपुरिया

डाॅ. संजय सिन्हा  - (5)
45 वर्ष, उद्योगपति

करिश्माई व्यक्तित्व



अपने कर्म से देश और समाज में सुख, शांति, ज्ञान व समृद्धि के पुष्प  खिलाने वाले भोजपुरियों में डाॅ. संजय सिन्हा का अग्रगण्य स्थान है। डाॅ. संजय सिन्हा देश व अंतरराष्ट्रीय कंपनी फ्रंटलाइन ग्रुप के चंयरमैन है, इन्होने अपनी कंपनी 2005 में मात्र कुछ हजार रूपए से शुरू की थी और आज यह कंपनी कई हजार करोड़ की कंपनी बन गई है, इतने कम समय मे डाॅ. सिन्हा ने अपनी कंपनी को टाॅप की सेकुरीटी कंपनियों में शुमार कराया है।

वे करिश्माई व्यक्तित्व के मालिक है। उनके कर्मचारियों का मानना है कि वे जिस चीज को छुते हैं, वह सोना बन जाता है, नहीं तो इतने कम समय में यह कम्पनी इतनी तेजी से तरक्की नहीं कर पाती। यह बस संजय सिन्हा के करिश्माई नेतृत्व की देन है, साथ ही उनपर कामाख्या माता का आपार आर्शीवाद है।

जन्म 31 मार्च 1969 को दिल्ली में जन्में डाॅ. सिन्हा हरदासपुर, खगौल, पटना के है, अपने पिताजी के खुशी के लिए इन्होंने कड़ी मेहनत कर 1991 में आईएस की परीक्षा में सफलता पाई, पर ज्वाइन नहीं की। उनका इरादा तो बिजनेश करने का था। डाॅ. संजय सिन्हा पोस्ट हारबेसट मैंनजमेंट में पीएचडी है। 

फ्रंटलाइन लगभग पूरे देश और विदेशों भी काम कर रही है, 40 से भी ज्यादा इसकी सब-आॅफिसे है जिसमें 1.5 लाख से भी ज्यादा कर्मचरी काम करते हैं, अधिकतर कर्मचारी भोजपुरी भाषी हैं। केवल बिहार और झारखंड में ही 38 हजार से भी अधिक लोग फ्रंटलाइन में काम करते हैं। 

फ्रंटलाइन दूर-संचार संबधी सारे कार्यो को मनायोग से करती है। यह कंपनी देश के हर हिस्से में टाॅवर लगाने से लेकर सुरक्षा सेवा प्रदान करने में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को काफी पीछे छोड़ते हुए यह कंपनी नंबर 1 बनी हुई है।

डाॅ सिन्हा की पहचान उद्योगपति के अलावे सादगी भरा जीवन, समाजसेवी व्यक्तित्व का भी है। वे अपनी व्यापारिक व्यवस्थाओं के बावजूद अपनी भाषा और संस्कृति के उत्थान के लिए समय निकाल ही लेते है, और तन-मन-धन से काम करते है।

डाॅ. संजय सिन्हा समाजसेवी संस्थाओं से जुड़कर समाज की सेवा अपने सच्चे तन, मन व धन से अभिरामता के साथ अविराम करते आ रहे है। भोजपुरी समाज, संस्कृति की उन्नति के लिए वे कटिवद्ध हैं। गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा मुहैया कराने में डाॅ. सिन्हा को अपार सुख मिलता है। 

डाॅ. सिंन्हा और उनकी कंपनी ने भोजपुरी भाषियों को सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराया हैं। 


परिवार एवं भाई का साथ
डाॅ संजय सिन्हा को उनके भाई पुष्पेश सिन्हा, पत्नि एवं परिवार का हर कदम पर साथ मिलता है।

आलोचनाः समाज और काम की चिंता करने वाले संजय सिन्हा अपनी सेहत की चिंता नहीं करते!

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